दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लिङ्गाष्टकम्
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जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त more info धाम शिवपुर में पावे॥
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श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
अस्तुति Shiv chaisa चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
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